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माले ने मनाया मजदूर दिवस की 135वीं वर्षगांठ, यूनियन कार्यालय में भी फहराया झंडा

  • मोदी सरकार के श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ संघर्ष का दोहराया संकल्प
  • सरकार के मजदूर वर्ग के अधिकारों को छीनने तथा दमनकारी नीतियों का किया विरोध

गिरिडीह। भाकपा माले समर्थित एआईसीसीटू, कोल माइंस वर्कर्स यूनियन व झारखंड जेनरल मजदूर यूनियन की ओर से शनिवार को मजदूर दिवस के मौके पर गादी श्रीरामपुर-मंझलाडीह में बैठक की गई। साथ ही पपरवाटांड़ स्थित उक्त यूनियनों के संयुक्त कार्यालय में अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस की 135वीं वर्षगांठ पर लाल झंडा फहराकर मजदूरों के हक-अधिकार को लेकर संघर्ष का आह्वान किया गया।

कोविड संक्रमण के कारण कोई बड़ा कार्यक्रम नहीं करते हुए सांकेतिक रूप से मई दिवस के उपलक्ष में जहां दुनिया के मजदूरों एक हो का नारा दिया गया, वहीं केंद्र की मोदी सरकार की मजदूर वर्ग के अधिकारों को छीनने तथा दमनकारी नीतियों का विरोध किया गया।

मौके पर माले नेता सह एआईसीसीटू के राष्ट्रीय पार्षद राजेश कुमार यादव तथा पार्टी के गिरिडीह विधानसभा प्रभारी राजेश सिन्हा ने मेहनतकशों के संघर्ष के प्रतीक लाल झंडा फहराते हुए केंद्र की मोदी सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ संघर्ष का संकल्प दोहराया।

कहा कि मौजूदा दौर में कोविड को लेकर उत्पन्न जान-माल की क्षति से पूरा देश सदमे में है। इस मामले में केंद्र की सरकार ने अपनी जबरदस्त विफलता का परिचय दिया है। बिना सोचे समझे उठाए गए कदमों की सबसे ज्यादा मार मेहनतकशों के ऊपर ही पड़ी है। लेकिन सरकार ने इस दौरान भी गरीब मजदूरों के बजाय बड़ी-बड़ी कंपनियों के फायदे के लिए कदम उठाए। पूरे देश की मेहनतकश महिलाओं ने जहां उनके ऊपर छोटे-मोटे ऋणों को माफ करने की गुहार लगाई, वहीं सरकार ने इसे अनसुना कर बड़ी कंपनियों को सहूलियत देना जारी रखा।

कोरोना के शोर के बीच ही मौका पाकर मोदी सरकार ने मेहनतकश किसान-मजदूरों के ऊपर हमला बोलते हुए जहां किसानों के खिलाफ चार काले कानून लाने का काम किया, वहीं श्रमिकों के पूर्व से जारी अधिकारों को खत्म करने के लिए 44 श्रम कानूनों को रद्द कर श्रम विरोधी 4 लेबर कोड भी लेे आई। कहा कि, मौजूदा स्थिति सामान्य होते ही सरकार के खिलाफ मजदूर वर्ग के संघर्ष को आगे बढ़ाया जाएगा।

मौके पर पार्टी नेता सनातन साहू, सोनू रवानी, रंजीत रवानी, राजू सिंह, मो. नियाजुल, मो. मजबुल, मो. आजाद, मुन्ना साहू, कन्हैया सिंह आदि थे।

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