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भारतीय वैश्य महासभा ने मनाई दानवीर भामाशाह की जयंती

  • मातृ-भूमि के प्रति अगाध प्रेम और दानवीर थे भामाशाह: सूर्यदेव मोदी

कोडरमा। झुमरी तिलैया स्थित वीर कुंवर सिंह चौक के निकट त्रिमूर्ति कॉम्प्लेक्स में वैश्य रत्न दानवीर भामाशाह की जंयती मनाई गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला अध्यक्ष अजय वर्णवाल ने किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रदेश युवा अध्यक्ष सूर्यदेव मोदी मौजूद थे। वहीं कार्यक्रम का संचालन जिला युवा उपाध्यक्ष रोहित जायसवाल ने किया।

मौके पर प्रदेश युवा अध्यक्ष सूर्यदेव मोदी ने बताया कि दानवीर भामाशाह बाल्यकाल से मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप के मित्र, सहयोगी और विश्वासपात्र सलाहकार थे। अपरिग्रह को जीवन का मूलमन्त्र मानकर संग्रहण की प्रवृत्ति से दूर रहने की चेतना जगाने में सदैव अग्रणी रहे। मातृ-भूमि के प्रति अगाध प्रेम और दानवीरता के लिए भामाशाह का नाम इतिहास में अमर है।

जिला महासचिव अनिल साव ने दानवीर भामाशाह की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि दानवीर भामाशाह का जन्म राजस्थान के मेवाड़ राज्य में 29 अप्रैल 1547 को जैन धर्म में हुआ। भामाशाह के सहयोग ने ही महाराणा प्रताप को जहाँ संघर्ष की दिशा दी, वहीं मेवाड़ को भी आत्मसम्मान दिया। कहा जाता है कि जब महाराणा प्रताप अपने परिवार के साथ जंगलों में भटक रहे थे, तब भामाशाह ने अपनी सारी जमा पूंजी महाराणा को समर्पित कर दी। भामाशाह अपनी दानवीरता के कारण इतिहास में अमर हो गए।

युवा जिला अध्यक्ष सुजीत नायक ने बताया कि हल्दी घाटी के युद्ध में पराजित महाराणा प्रताप के लिए उन्होंने अपनी निजी सम्पत्ति में इतना धन दान दिया था कि जिससे 25 हजार सैनिकों का बारह वर्ष तक निर्वाह हो सकता था। प्राप्त सहयोग से महाराणा प्रताप में नया उत्साह उत्पन्न हुआ था। वह बेमिसाल दानवीर एवं त्यागी पुरुष थे। मौके पर महिला जिला संगठन मंत्री पुष्पा वर्मा, कोडरमा प्रखंड युवा सचिव पंकज साव, सदस्य राजेश वर्मा उपस्थित थे।

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