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हेमंत सरकार में कांग्रेस नेताओं को नही मिल रहा सम्मान, नही सुनते अधिकारी

  • प्रेसवार्ता कर कांग्रेस नेताओं ने बताई अपनी व्यथा
  • नाराज कांग्रेसियों ने पार्टी के साथ विधायकों पर लगाया अनदेखी का आरोप

गिरिडीह। हेमंत सरकार के तीन साल पूरे होने के साथ ही गठबंधन में अब सरकार विरोधी और विधायक विरोधी सुर भी तेज होने शुरु हो गए है। विरोध के सुर अब गिरिडीह में भी हेमंत सरकार के साथ कांग्रेस समेत विधायकों के खिलाफ निकलने शुरु हो गए है। शुक्रवार को गिरिडीह कांग्रेस के कई नाराज नेताओं ने प्रेसवार्ता कर अपने पार्टी के साथ हेमंत सरकार और दोनों विधायकों के खिलाफ जमकर आग उगला। इतना ही नही नाराज कांग्रेस नेताओं ने यह भी कहा कि साढ़े तीन साल होने के बाद भी जो तरजीह मिलना चाहिए। वो तरजीह और अधिकार कांग्रेस नेताओं को नहीं मिल रहा। जबकि गिरिडीह सदर समेत छह विस सीटों में कई सीट कांग्रेस के है और इन सीटों पर कांग्रेस लोकसभा और विस चुनाव लड़ चुकी है। लेकिन कई सीट कांग्रेस ने झामुमो को दे दिया।

सर्किट हाउस में प्रेसवार्ता कर कांग्रेस के प्रर्देश सचिव सह गिरिडीह कांग्रेस नेता अजय सिन्हा मंटु, ओबीसी प्रकोष्ठ के प्रर्देश प्रवक्ता नवीन आनंद, वरिष्ठ कांग्रेस नेता उपेन्द्र सिंह, आनंद वर्मा उर्फ पूनम, मदन विश्वकर्मा, संतोष राय और बलराम यादव समेत अन्य कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस के प्रर्देश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने बंद लिफाफे में बोर्ड-निगम के अध्यक्ष पद के लिए अलग-अलग जिलों से 11 नाम का प्रस्ताव भेजा, जिसमें गिरिडीह से जिस महिला के नाम की अनुशंसा कर हेमंत सरकार के पास भेजा है। वो पहले ही जमुआ से साल 2019 का विस चुनाव लड़ चुकी है। जबकि चुनाव लड़ने से पहले वो तृणमुल कांग्रेस में थी। पार्टी ने उन्हें जमुआ से टिकट देकर चुनाव लड़ाया।
लेकिन गिरिडीह कांग्रेस कमेटी यही जानना चाहती है कि क्या सिर्फ एक महिला को ही हर पद दिया जाएं। गिरिडीह कांग्रेस में कई नेता ऐसे है जो बोर्ड-निगम का अध्यक्ष पद के योग्य है। प्रेसवार्ता के क्रम में वरिष्ठ कांग्रेस नेता उपेन्द्र सिंह ने यहां तक कहा कि कांग्रेस में फिलहाल भाजपा विचारधारा और उसके कई समर्थक है और यही कांग्रेस की लूटिया डूबोने पर तूले है। नाराज कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले साढ़े तीन साल में हेमंत सरकार के दोनों विधायक सुदिव्य कुमार सोनू और सरफराज अहमद ने कभी पहल नहीं किया कि गिरिडीह कांग्रेस के नेताओं को भी महत्व मिलना चाहिए और अब हालात ऐसे है कि कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं का गिरिडीह के थानों और अचंल कार्यालय में कोई अधिकारी नहीं सुनते।

नाराज कांग्रेस नेताओं का कहना था कि पिछले दिनों में नगर भवन में कांग्रेस के राज्य प्रभारी अविनाश पांडेय इन मुद्दों पर बातचीत तक हुआ। लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ। इस्तीफा और आंदोलन से जुड़े सवाल पूछने पर नाराज कार्यकर्ताओं ने कहा कि दोनों में कोई विकल्प नहीं है। बल्कि वो सुधार चाहते है और अगर इसके बाद भी सुधार नहीं हुआ, विचार किया जाएगा।

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