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गिरिडीह में 13 क्लिनिक व नर्सिंग होम के नाम है, लेकिन भवन, चिकित्सक और स्वास्थ कर्मियों का कोइ अता-पता नहीं

सभी रजिस्ट्रर्ड है क्लिनिकल स्टेबलिस्मेंट एक्ट से

कोरोना वैक्सीन की सूची अपडेट करने के क्रम में आया मामला सामने

गिरिडीहः
कोरोना वैक्सीन को लेकर प्राईवेट नर्सिंग होम के चिकित्सक और स्वास्थ कर्मियों की सूची अपटूडेट करने में गिरिडीह स्वास्थ विभाग जुटा हुआ है। एक बार फिर स्वास्थ विभाग ने जिले के वैसे नर्सिंग होम को 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया है। जो अब तक सूची नहीं सौपें है। हालांकि अब तक 44 नर्सिंग होम की सूची स्वास्थ विभाग को मिल चुकी है। जबकि पूरे जिले में 89 छोटे-बड़े नर्सिंग होम और क्लिनिक के संचालन होने की बात सामने आ रही है। इसमें सदर प्रखंड के ही 41 नर्सिंग होम शामिल है। लेकिन सूची अपडेट करने की प्रकिया में जुटी जिले की प्रशिक्षु उपसमाहर्ता निशा कुमारी, ज्योति कुमारी और एकता वर्मा ने जब ऐसे नर्सिंग होम का पता लगाना शुरु की। तो जानकारी मिली कि जिले में 13 नर्सिंग होम क्लिनिकल स्टेबलिस्मेंट एक्ट के तहत रजिस्टर्ड तो है। लेकिन इनका कोई अता-पता नहीं है। यानि, ऐसे 13 नर्सिंग होम कहीं संचालित नहीं है। सिर्फ ऐसे नर्सिंग होम के नाम ही चल रहे है। स्वास्थ विभाग से मिले लिस्ट के अनुसार तीनों प्रशिक्षु उपसमाहर्ता ऐसे क्लिनिक और नर्सिंग होम तलाशने निकली। लेकिन ना को क्लिनिक और नर्सिंग होम मिला, और ना ही इनके संचालनकर्ता, चिकित्सक व स्वास्थ कर्मी ही दिखें। ऐसे में इन प्रशिक्षु उपसमाहर्ता भी चाौंक गई कि आखिरकार इनके खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई है।
इधर प्रशिक्षु उपसमाहर्ताओं का कहना है कि जिले के गांवा में ओम सांई नामक नर्सिंग होम का लिस्ट मिला। लेकिन गांवा में इस नाम से कोई नर्सिंग होम नहीं मिला। यही हाल शहर के बोड़ो स्थित आदर्श क्लिनिक का है तो बिरनी के शुभ क्लिनिक का। जहां कोई क्लिनिक और नर्सिंग होम भी संचालित नहीं है। बहरहाल, जिले में ऐसे नामों का इस्तेमाल कर प्रशासन और स्वास्थ विभाग को किस प्रकार भ्रमित किया जा रहा है। यह इसी से पता चलता है कि अब तक गांवो में सिर्फ नाम का इस्तेमाल कर झाोला-छाप चिकित्सक अपनी कमाई में लगे हुए है।

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