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आईसीडीएस के निजीकरण के खिलाफ सहित विभिनन मांगों को लेकर सांसद आवास पर किया प्रदर्शन

  • पोषण मटका, वाटिका के नाम पर आंगनबाड़ी को खत्म करने की हो रही है साजिश: सीटू
  • ज्ञापन सोंप कर मामले को सदन में उठाने की मांग

कोडरमा। आईसीडीएस के निजीकरण के खिलाफ और आंगनबाड़ी सहित सभी योजना कर्मियों को न्यूनतम 26 हजार मानदेय देने, सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केन्द्रीय वित्त मंत्री को पत्र लिखने व संसद के बजट सत्र में योजना कर्मियों के हक में आवाज उठाने के लिए ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ आंगनबाड़ी वर्कर्स एण्ड हेल्पर (आइफा) के देशव्यापी आह्वान पर पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत झारखंड राज्य आंगनबाड़ी सेविका सहायिका संघ (सीटू) के बैनर तले जिले भर की सैकड़ों सेविका सहायिका ने जुलूस निकाला और केन्द्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सह कोडरमा सांसद अन्नपूर्णा देवी के चाराडीह स्थित आवास पर प्रदर्शन किया और मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा।

इस दौरान जिलाध्यक्ष शोभा प्रसाद की अध्यक्षता में एक सभा का भी आयोजन किया गया। जिसका संचालन जिला सचिव वर्षा रानी ने की। सभा को संबोधित करते हुए मजदूर नेता और सीटू के राज्य सचिव संजय पासवान ने कहा कि बच्चे देश का भविष्य है। बच्चों और माताओं के पोषण और स्वास्थ्य के लिए आईसीडीएस, एनआरएचएम, मिड डे मील योजना जो भूमिका निभाती है, लेकिन पिछले सात साल से पर्याप्त बजट के अभाव में योजनाएं बीमार हो गई है। सेविका सहायिका, सहिया, रसोइया को मामूली मानदेय भी नहीं दिया जाता है। बिना किसी सेवानिवृत्ति लाभ के काम से हटा दिया जाता है। बिना बेहतर मोबाइल और डेटा रिचार्ज के डिजिटल रिपोर्टिंग के लिए मजबूर किया जाता है। पोषण मटका और पोषण वाटिका के नाम पर आंगनबाड़ी केंद्र को खत्म करने की साजिश हो रही है जिसके खिलाफ सांसद महोदय को संसद में आवाज उठाने की आवश्यकता है।

आंगनबाड़ी संघ की प्रदेश अध्यक्ष मीरा देवी ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान हमने बिना सुरक्षा के जान जोखिम में डालकर काम किया, जिसकी सराहना प्रधानमंत्री ने भी मीडिया में किये थे, लेकिन भारत सरकार ने जान गंवाने वाले अधिकांश आशा वर्कर और सेविकाओं को मुआवजा नहीं दिया। पिछले आठ सालों में आईसीडीएस के आंवटन में कोई वृद्धि नहीं किया गया।

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