एपवा ने किया देश की प्रथम महिला शिक्षिका सावित्री बाई फुले को याद
महिला शिक्षा को वर्तमान समय में ओर भी बुलंद करने का लिया संकल्प
गिरिडीह। भारत की पहली महिला शिक्षिका और पहली महिला प्रधानाध्यापिका तथा महिलाओं, वंचितों, उपेक्षितों के लिए आजीवन संघर्षरत रही सावित्री बाई फुले की जयंती के अवसर पर अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) की बगोदर ईकाई ने सरिया रोड स्थित शहीद महेंद्र सिंह भवन में उन्हें याद करते हुए श्रद्धा अर्पित की। और उनके महिला शिक्षा और आधुनिकता के रास्ते को वर्तमान समय में ओर भी बुलंद करने का संकल्प दोहराया।
विपरित परिस्थितियों में भी महिला शिक्षा को दिया बढ़ावा
मौके पर बगोदर पश्चिमी जिला परिषद पूनम महतो ने कहा कि 3 जनवरी 1831 में पुणे से 50 किलोमीटर दूर नाईगांव में जन्मी और देश मे महिला शिक्षा और आधुनिकता की अलख जगानेवाली पहली महिला सावित्री बाई फुले के अदम्य साहस और पहलकदमी आज भी प्रासंगिक है। उस विपरीत दौर में जब लड़कियां चहुँओर शिक्षा से वंचित रखी जाती थी, बाल विवाह और विधवाओं के शोषण आम बात थी, उन्होंने शिक्षा का दीप जलाया और समाज को प्रगति पथ पर अग्रसर की। उनके बताये रास्ते को आज बुलंद करने की जरूरत है।
महिलाओं के अधिकारों और सम्मान के लिए महिला सेवा दल का किया था गठन
बगोदर उप प्रमुख सह ऐपवा प्रखंड सचिव सरिता साव ने कहा कि सावित्री बाई फुले अपने दौर में न सिर्फ महिलाओं की शिक्षा के लिए स्कूल खोली बल्कि महिलाओं के अधिकारों, उनकी गरिमा और सम्मान के लिए महिला सेवा दल का गठन भी किया। उनकी सामाजिक उत्तरदायित्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने 1897 में प्लेग मरीजो की सेवा करते हुए खुद प्लेग से पीड़ित होकर इस दुनिया से रुखसत की।
कार्यक्रम का संचालन बगोदर मध्य जिला परिषद सरिता महतो व अध्यक्षता पूर्व पंस खगिया देवी कर रही थी। मौके पर पंचायत समिति बसंती देवी, लक्ष्मी देवी, ललित देवी, फूलमती देवी, हेमंती देवी, टुकनी देवी, कुसनी देवी, चंपा देवी, जागेश्वरी देवी, मूल्या देवी, मंजू देवी, सुमित्रा देवी, सोनिया देवी समेत दर्जनों महिलाएं उपस्थित थी।