कोरोना से निपटने के लिए गिरिडीह में किया गया कोषांगो का गठन, लेकिन बेड के अलावे और नहीं मिलती कोई जानकारी
होम आइसोलेशन में रह रहे संक्रमितों को कैसे मिले आक्सीजन, पता लगाना भी काफी मुश्किल
गिरिडीहः
कोरोना संक्रमण के चैन तोड़ने और संक्रमण से निपटने के लिए गिरिडीह प्रशासन की रणनीति काफी बेहतर तो दिख रही है। डीसी राहुल सिन्हा के निर्देश पर कई कोषांग का गठन भी किया गया। लेकिन हालात ऐसे है जिन अधिकारियों को जो जिम्मा दिया गया। वह फिलहाल उसमें खरा उतरते नहीं दिख रहे है। हालांकि डीसी ने तमाम कोषांगो का वरीय प्रभारी डीडीसी शशि भूषण मेहरा को ही सौंप रखा है। अब हालात ऐसे है कि अधिकारियों व उनके साथ टैग किए गए कर्मियों को जो जिम्मा दिया गया है। उसकी माॅनिटरिंग भी सही से नहीं हो पा रही है। लिहाजा, अधिकारियों और कर्मियों के सुस्त रवैये के कारण ही डीसी राहुल सिन्हा को कई बार आॅक्सीजन की उपलब्धता, रैमडीसीविर इंजेक्शन, कोविद सेंटर की व्यवस्था, आॅक्सीजन सिलेंडर की उपलब्धता और प्राईवेट हाॅस्पीटलांे में नए संक्रमितों के लिए बेड उपलब्ध कराने तक की जवाबदेही पूरा करना पड़ रहा है। ऐसे में होम आइसोलेशन में रहने वाले संक्रमितों को सुविधानुसार आॅक्सीजन सिलेंडर कहां और किनसे मिले। इसकी जानकारी लेने में संक्रमित के परिजनों को पसीना उतर रहा है। यही नही किस नर्सिंग होम में संक्रमितों के कितने बेड खाली है। यह जानकारी भी सही तरीके से लोगों को नहीं मिल पा रहा। प्राईवेट हाॅस्पीटलों में संक्रमितों का इलाज सही तरीके से हो रहा है या नहीं। इसकी माॅनिटरिंग भी सही तरीके से नहीं किया जा रहा।
वैसे कुछ अधिकारी जिलाधिकारी से मिले जिम्मेवारी को निभाते दिख रहे है। इसमें जिला खनन पदाधिकारी सतीश नायक को शहर के जिस नर्सिंग होम में संक्रमितों के इलाज की माॅनिटरिंग करने की जिम्मेवारी मिली है। वह हर दो-तीन दिन में गोवर्धन लाल नर्सिंग होम में पहुंच कर संक्रमितों के इलाज की व्यवस्था देख रहे है। इसी प्रकार अपर समाहर्ता विल्सन भेंगरा को कार्मिक कोषांग का जिम्मा मिला है। तो अपर समाहर्ता हर राज प्रतिनियुक्त पदाधिकारी और कर्मियों के उपलब्धता की जानकारी ले रहे है। तो विधी-व्यवस्था की जिम्मेवारी अगर एनडीसी डा. सुदेश कुमार को मिला है। तो एनडीसी सुदेश कुमार कभी जिले के सरकारी कोविद सेंटर की व्यवस्था भी देखने नहीं पहुंचते। यही स्थिति डीआरडीए निदेशक आलोक कुमार समेत उनके अधीनस्थ कर्मियों का भी है। डीसी द्वारा डीआरडीए निदेशक को जिले का आॅक्सीजन टाॅस्क फोर्स का वरीय अधिकारी प्रतिनियुक्त किया गया है। लेकिन जिले में आॅक्सीजन की उपलब्धता क्या है और किन कोविद सेंटर व प्राईवेट हाॅस्पीटल को आॅक्सीजन की कितनी जरुरत है। इसकी जानकारी लेना भी डीआरडीए निदेशक टाॅस्क फोर्स में शामिल पदाधिकारी व कर्मी जरुरी नहीं समझते। हालांकि हाॅस्पीटल और बेड मैनेजमेंट के नोडल पदाधिकारी डीडीसी शशिभूषण मेहरा ने आंकड़ो की जानकारी देते हुए बताया कि जिला मुख्यालय के एएनएम हाॅस्टल स्थित कोविद सेंटर में जहां 16 बेड खाली है। वहीं जिले के प्राईवेट नर्सिंग होम में 68 बेड खाली है।