निर्माण मजदूर यूनियन का मजदूर अधिकार सम्मेलन का हुआ आयोजन
- किसान संगठनों के आह्वान पर 27 सितंबर को भारत बंद का किया समर्थन
- प्रेम प्रकाश अध्यक्ष व शम्भु पासवान बने यूनिसन के सचिव
कोडरमा। संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर सैकड़ों किसान मजदूर संगठनों के द्वारा तीन कृषि काला कानून, मजदूर विरोधी लेबर कोड, महंगाई, बेरोजगारी और मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ़ 27 सितंबर को भारत बंद का समर्थन करने की घोषणा के साथ निर्माण मजदूर यूनियन का जिला स्तरीय मजदूर अधिकार सम्मेलन साहू धर्मशाला में संपन्न हुई। सम्मेलन की अध्यक्षता नागेश्वर दास, राजेन्द्र पासवान और बसंती देवी की तीन सदस्यीय अध्यक्ष मंडल ने किया। जबकि संचालन शम्भु पासवान ने किया। सम्मेलन में सर्वप्रथम मजदूर व किसान में मारे गए तथा कोरोना काल में अपने परिवारों से बिछड़ गए लोगों की याद में दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता सीटू राज्य कमिटी सदस्य संजय पासवान ने कहा कि मजदूरों के पास खोने के लिए अपनी बेड़ियों के सिवा और कुछ नहीं है। जीतने के लिए उसके सामने सारी दुनिया है। कहा कि देश में उत्पादन और विकास की मुख्य ताकत मजदूर वर्ग की सिर्फ घोर उपेक्षा ही नही, बल्कि 44 श्रम कानूनों को समाप्त कर चार लेबर कोड संहिता में बदलकर यूनियन बनाने, स्थाई रोजगार, उचित मजदूरी और आवास प्राप्त करने के उसके संवैधानिक अधिकारों को ही समाप्त किया जा रहा है। राज्य की सरकार भी इसी रास्ते पर चल रही हैं। कंपनियों और रियल स्टेट के अकूत मुनाफों के मद्देनजर लगातार श्रम कानूनों में बदलाव किया जा रहा है। कम लागत-ज्यादा मुनाफा की होड़ की वजह से कार्यस्थलों पर दुर्घटनाओं और मजदूरों की मौत आम बात हो गयी है। दुर्घटना और मौत की इन घटनाओं से सरकार और प्रबंधन का कोई लेना देना नहीं होता है। मजदूरों की जान की कीमत पर विकास को कभी भी मंजूर नहीं किया जा सकता है। इन हालातों को बदलने के लिए एकताबद्ध मजदूर आंदोलन ही विकल्प है।
निर्माण मजदूर यूनियन के ज़िला संयोजक प्रेम प्रकाश ने प्रतिवेदन पेश करते हुए कहा कि मालिकों के द्वारा निर्माण मजदूरों का लगातार शोषण हो रहा है, मज़दूरी कम देना, महिला व पुरुष मजदूरों में फर्क करना आदि जारी है। श्रम विभाग के द्वारा कैंप लगाकर मजदूरों का निबंधन किए जाने की जरूरत है। ताकि कोई भी मजदूर अपने अधिकार से वंचित न रहे। जिला मे यूनियन ने संघर्षों के माध्यम से श्रम विभाग की योजनाओं का लाभ जिसमें साड़ी व शर्ट पैंट के कपड़े, साइकिल, सिलाई मशीन, कुदाल व कड़ाही आदि सैकड़ों श्रमिकों को लाभ दिलाया गया। अभी भी सैकड़ों लोग इस लाभ से वंचित हैं, जिसके लिए एकजुट होकर लडाई तेज करना होगा।
क्रांतिकारी नेता चरणजीत सिंह ने मजदूरों के हक और अधिकार की लड़ाई को तेज करने का आह्वान किया। सम्मेलन में 25 सदस्यीय ज़िला कमिटी का चुनाव किया गया। जिसमें अध्यक्ष प्रेम प्रकाश, सचिव शम्भु पासवान, उपाध्यक्ष राजेंद्र पासवान, तालेवर दास, संयुक्त सचिव नागेश्वर दास, बालेश्वर राम और कार्यालय सचिव रविन्द्र भारती के अलावा बसंती देवी, सहदेव दास, ऊषा देवी, किसुन दास, राजु दास, कारु भूइयां, गुड़िया देवी, लीला देवी, मीना देवी, अजमेरी खातुन, महेन्द्र दास, फरजाना खातुन, हिरामन प्रसाद, संजू देवी, चम्पा देवी, शांति देवी, सुभान मियां, सकलदेव दास, रामदेव दास कमिटी के सदस्य चुने गए।