काॅ. महेन्द्र सिंह शहादत दिवस पर मानव श्रृंखला की तैयारी तेज
- कई स्थानों पर हुई ग्राम सभाएं
- केंद्र सरकार घोर किसान विरोधी और कॉरपोरेट-परस्त: विनोद सिंह
गिरिडीह। राजधानी दिल्ली में बिगत दो महीने से चल रहे महान किसान आंदोलन के समर्थन में तथा तीनों किसान विरोधी कृषि कानूनों वापस लेने की मांग को लेकर आगामी 16 जनवरी शहीद काॅ. महेंद्र सिंह शहादत दिवस के अवसर पर होने वाले मानव श्रृंखला की सफलता को लेकर भाकपा माले ने रविवार को बगोदर प्रखंड के दर्जनाधिक गांवो में ग्राम सभाएं आयोजित की। जिसमंे बनपुरा, केंझिया, गाड़या, दोनदलो, ढिबरा, नावाडीह, बेको कुम्हार टोला, बेको साहू टोला, तिरला लालीबखरी, बगोदर हरिजन टोला, पैसरा, बाराटोला, बखरीडीह, धरगुल्ली रवानी टोला, कुदर दलित टोला, डुमरडेली, लुकुइया, जमुआरी, तुकतुको, अटका समेत अन्य गांव शामिल हैं।
काला कानून वापस लेने तक जारी रहेगा आंदोलन
ग्राम सभाओं का नेतृत्व बगोदर माले विधायक विनोद कुमार सिंह, झमस महासचिव परमेश्वर महतो, किसान महासंभा प्रदेश सचिव पूरन महतो, प्रखण्ड सचिव पवन महतो, इनौस राष्ट्रीय महासचिव संदीप जायसवाल, पूरन कुमार महतो, बगोदर पूर्वी जिप सदस्य गजेंद्र महतो, बगोदर पश्चिमी जिला परिषद पूनम महतो, बगोदर मध्य जिला परिषद सरिता महतो, बगोदर प्रमुख मुस्ताक अंसारी, उप प्रमुख सरिता साव, पंस शेख बदरुद्दीन, हरेंद्र सिंह, कुमोद यादव, शिव शंकर महतो, तेजनारायण पासवान, हेमलाल महतो व अन्य ने किया। बनपुरा गांव में आयोजित ग्राम सभा में बगोदर विधायक विनोद कुमार सिंह ने कहा कि केंद्र की भाजपा नीत सरकार घोर किसान विरोधी और कॉरपोरेट-परस्त साबित हुई है। उन्होंने कहा कि जब तक तीनों काले कृषि कानूनों को भाजपा सरकार वापस नही लेती है, आंदोलन जारी रहेगा।
मानव श्रृंखला की सफलता के लिए की बैठक
इधर मानव श्रृंखला की सफलता के लिए बगोदर बाजार में गणमान्य लोगों की बैठक की गई। वहीं मुंडरो में आइसा-आरवाईए की बैठक हुई। बैठक के बाद मुंडरो में नौजवानों ने मानव श्रृंखला की सफलता और प्रचार के लिए मार्च निकाला। बगोदर पश्चिमी जोन में इंकलाबी नौजवान सभा के कार्यकर्ता गांव-टोले में सघन दीवाल लेखन किया जा रहा है।
इस बाबत जानकारी देते भाकपा माले प्रखण्ड सचिव पवन महतो ने कहा कि आगामी 16 जनवरी को शहीद महेंद्र सिंह शहादत दिवस के मौके पर किसान आंदोलन के समर्थन आयोजित मानव श्रृंखला मील का पत्थर साबित होगा। मानव शृंखला में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए केंद्र की भाजपा नीत सरकार के खिलाफ जोरदार आवाज बुलंद किया जाएगा।