विधानसभा के बजट सत्र में नेता प्रतिपक्ष के मुद्दे पर भाजपाईयों ने किया हंगामा
- भाजपा विधायक ने कहा, बाबूलाल मरांडी से डरी हुई है सरकार
- वित्त मंत्री ने किया 2,698 करोड़ का अनुपूरक बजट पेश
- स्थानीय नीति पर उच्च न्यायालय के आदेश का हो रहा अध्ययन: सीएम
रांची। झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे दिन विपक्ष के हंगामे के बीच वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने 2,698 करोड़ का अनुपूरक बजट पेश किया है। वहीं नेता प्रतिप़ की मांग को लेकर सदन के शुरू होते ही भाजपा विधायकों ने सदन के अंदर खड़े होकर नारेबाजी शुरू कर दी। वह बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष की मान्यता देने की मांग कर रहे थे। जिसपर स्पीकर ने कहा कि सुनवाई चल रही है। जल्द निर्णय हो जाएगा। अपनी मांगों को लेकर भाजपा विधायक आसन के सामने आ गए। कहा कि स्पीकर इतने गंभीर मुद्दे पर स्पष्ट जवाब नहीं दे रहे हैं। स्पीकर के समझाने पर वह अपनी सीट पर लौट कर नारेबाजी करने लगे।
सत्र के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि स्थानीयता नीति पर उच्च न्यायालय के आदेश पर अध्ययन हो रहा है। इससे पहले इस मुद्दे पर जवाब देते हुए संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि यह मामला विचाराधीन है। लंबोदर महतो के प्रश्न के उत्तर में मंत्री ने यह जवाब दिया। वहीं विधायक बंधु तिर्की ने कहा कि स्थानीय नीति बेहद अहम है। पूर्व की सरकार में बनाई गई नीति को रद्द किया जाना चाहिए। आलमगीर आलम ने कहा कि स्थानीय नीति पर जल्द निर्णय होगा।
नेता प्रतिपक्ष के मुद्दे पर भाजपा आक्रामक है। विधायक बिरंची नारायण ने कहा कि सरकार के इशारे पर स्पीकर 2 वर्षों से बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने राज्यसभा चुनाव में बाबूलाल को भाजपा विधायक का दर्जा दे दिया। इसके बाद भी स्पीकर ने उन्हें नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं दिया। कहा कि एक तरफ स्पीकर प्रदीप यादव से झाविमो नेता के रूप में भाषण दिलाते हैं लेकिन वह कांग्रेस विधायक दल के उपनेता हैं। इससे साफ पता चलता है कि सरकार बाबूलाल मरांडी से डरी हुई है।
- अपनी-अपनी मांगों को लेकर किया प्रदर्शन
इससे पहले विभिन्न राजनीतिक दलों और संगठनों ने विधानसभा के बाहर अपनी-अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया। भाजपा के विधायकों ने बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा देने की मांग को लेकर धरना दिया। और पोस्टर के साथ नारेबाजी की। वहीं कांग्रेस ने राज्य पिछड़ा आयोग के गठन की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। विभिन्न आदिवासी संगठनों ने मानव श्रृंखला बनाकर खतियान आधारित स्थानीय नीति लागू करने की मांग की।