LatestTOP STORIESकोलकातावेस्ट बंगाल

विधानसभा चुनाव से पहले बंगालीपन में जी रही है अमित शाह की टीम

बांग्ला कल्चर से सने-गूंथे होने की कई नेता कर रहे हैं कवायद

कोलकाता। पश्चिम बंगाल चुनाव से पहले बांग्ला कल्चर से सने-गूंथे होने की भाजपाई कवायद जारी है। यही वजह है कि भाजपा के दिग्गज नेता अमित शाह की बंगाल टीम पर इन दिनों बंगालीपन का सुरूर सवार है। चुनाव में जीत के लिए जरूरी उपायों में बंगालीपन में जिने के तरीके को भी साधा जा रहा है। फिलहाल भाजपा के जिन 13 वरिष्ठ नेताओं को बंगाल विधानसभा चुनाव में अहम जिम्मेदारी दी गई है वे सभी बंगाल की संस्कृति, भाषा, खानपान से पूरी तरह रूबरू हो रहे हैं। दरअसल बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले जिस तरह तृणमूल कांग्रेस लगातार बंगाली व गैर बंगाली मुद्दे को लेकर भाजपा पर हमलावर बनी हुई है वहीं भगवा भी बंगाल की संस्कृति के जरिए उस पर पलटवार करने के लिए कमर कस लिया है।

राजनीतिक प्रेक्षकों की मानें तो पिछले लोकसभा चुनाव में बंगाल में भाजपा को मिली शानदार सफलता के बावजूद 2021 के विधानसभा चुनाव में बंगाली भावना भी एक बड़ा कारक हो सकती है। बंगाली भाषा, संस्कृति, त्योहार सूबे की सियासत में गहराई से शामिल है। भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह भी इसे अच्छी तरह समझ रहे हैं। बंगाल में जमीनी स्तर पर पैठ बनाने के लिए भाजपा ने पांच संगठन महासचिवों और आठ मंत्रियों को मैदान में उतारा है। आरएसएस से भाजपा में आए इन महासचिवों को माइक्रो मैनेजमेंट में माहिर माना जाता है। इनमें सुनील बंसल, भीखूभाई दलसानिया, रवींद्र राजू , पवन राणा व रत्नाकर शामिल हैं। इसके अलावा आठ मंत्रियों संजीव बालियान, गजेंद्र सिंह शेखावत, नित्यानंद राय, अर्जुन मुंडा, नरोत्तम मिश्रा, मनसुख मांडविया, केशव प्रसाद मौर्य और प्रह्लाद सिंह पटेल को भी बंगाल के सभी हिस्सों में प्रचार के लिए भेजा गया है।

सूत्रों का कहना है कि अमति शाह के निर्देश पर ये सभी नेता बांग्ला सीखने के साथ बंगाली संस्कृति, खानपान की आदतें भी डाल रहे हैं जो आने वाले दिनों में इन्हें आम लोगों के बीच इसकी सख्त जरूरत पड़ेगी। जादवपुर विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय मामलों के सहायक प्रोफेसर इमोन कल्याण लाहिरी का कहना है कि बंगाल फतह के लिए भाजपा को बंगाली भावना पर ध्यान देना ही होगा। तभी बंगाल के बंगालियों के बीच उनकी स्वीकार्यता बढ़ सकती है। हालांकि इसके साथ त्रिपुरा की कामयाबी से पार्टी को सूबे में बंगाली विरासत हासिल करने में मदद मिलेगी। लिहाजा, पिछले दिनों पीएम नरेंद्र मोदी ने भी विश्वभारती विश्वविद्यालय के समारोह में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की कुछ कविताएं बांग्ला में पढ़ी थीं। दशहरा के दौरान भी भाजपा की ओर से आयोजित विजया सम्मिलनी के मौके पर भोजन की फेहरिस्त में बंगाली व्यंजनों की भरमार थी।

Please follow and like us:
Show Buttons
Hide Buttons