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चार की मौत के बाद परिजनों के चीत्कार से कांप उठा देवरी के बरवाबाद गांव, आंखू पोछनें के लिए आगे आएं थाना प्रभारी

दो लोग उतरे थे कुंआ की सफाई के लिए, उन्हें बचाने घुसे दो लोग आएं गैस रिसाव के चपेट में

गिरिडीहः
गिरिडीह के देवरी स्थित बरवाबाद गांव के लिए मंगलवार का दिन अमंगल भरा रहा। कुंआ सफाई के दौरान हुए चार मौत ने पूरे देवरी को झकझोर दिया। बरवाबाद गांव की यह घटना पल भर में एक साथ कई गांवो तक फैल गई। इस दौरान कई गांवो के ग्रामीण घटनास्थल में जुटने शुरु हो गए। इस बीच जानकारी मिली तो देवरी थाना प्रभारी सरोज कुमार चाौधरी भी पुलिस जवानों के साथ घटनास्थल पहुंचे। जहां मृतकों के परिजनों का चीत्कार ही गूंज रहा था। हालात ये थे कि गांव में मचे चीत्कार को रोकने के लिए थाना प्रभारी को सामने आना पड़ा। और थाना प्रभारी चारों मृतकों के परिजनों को खुद हिम्मत देे रहे थे। लेकिन किसी के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे, कभी कोई बेहोश हो रहा था, तो कभी किसी के पिता ही बेहोश हो जा रहे थे। लेकिन कुंए की सफाई के दौरान गैस रिसाव को लेकर हुए घटना में देवरी थाना पुलिस को शुरुआती जांच में कोई लापरवाही सामने नहीं आया। क्योंकि कुंआ अधिक पुराना नहीं था, और कुंए का इस्तेमाल भी किया जा रहा था। मामूली रुप से कुंए की सफाई की जा रही थी। पुलिस के अनुसार मामला महज एक हादसे से जुड़ा है। लिहाजा, वरीय अधिकारियों के निर्देश पर कुछ कहना उचित होगा।
जानकारी के अनुसार बरवाबाद गांव के गिरिजा विश्वकर्मा के घर का 15 साल पुराना कुंआ की सफाई का प्लानिंग बनाया। तो कुंए के सफाई के लिए गिरिजा ने अपने बेटे दिगंबर विश्वकर्मा के 38 वर्षीय साले और जमुई के खैरा थाना क्षेत्र निवासी सागर विश्वकर्मा और उसके करीबी दोस्त जमुई के ही खैरा निवासी और 35 वर्षीय अबोध राणा से सफाई करने को कहा। दोनों कुंए मंे सफाई के लिए उतरे ही थे, और डीजल पंप से कुंए के पानी को बाहर निकाल रहे थे। कि अचानक कुंए से गैस रिसाव होना शुरु हो गया। तब तक कुंए आधे से अधिक पानी निकल चुका था।

और महज तीन फीट का पानी रह गया कुंए के भीतर रह गया था। जबकि कुंए की गहराई 27 फीट के करीब था। इस दौरान गैस के चपेट जब दोनों का हालत खराब होने लगा। तो दोनों को बचाने के लिए बरवाबाद गांव के महेश विश्वकर्मा और भिखारी विश्वकर्मा कुंए के भीतर घुसे। और वो दोनों भी रिसाव होते गैस के चपेट में आ गए। इस बीच जानकारी मिलने के बाद मृतक भिखारी का भाई महेन्द्र विश्वकर्मा किसी तरह कुंए के भीतर घुसा, और चारों को कुंए से बाहर निकाला। लेकिन तब तक सागर, अबोध राणा और महेश विश्वकर्मा की मौत हो चुकी थी। जबकि भिखारी की हालत गंभीर था। लिहाजा, उसे इलाज के लिए जमुआ पहुंचाया गया। जहां उसे बेहतर इलाज के लिए शहर के नर्सिंग होम पहुंचाया गया। जहां चिकित्सक ने भिखाारी को मृत घोषित कर दिया। वहीं रिसाव होते गैस के बीच चारों को बचाने के लिए घुसे महेन्द्र विश्वकर्मा भी मामूली रुप से बीमार हुआ। तो उसे इलाज के लिए धनबाद रेफर किया गया।

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