एक सीनियर अधिकारी का आया काॅल और गिरिडीह कुख्यात पांच लाख के इनामी माओवादी ने पीरटांड थाना में किया संरेडर
गिरिडीह और धनबाद में इसके खिलाफ है 55 से अधिक नक्सली केस दर्ज
महिला साथी से छेड़छाड़ के आरोप में निकाला गया था संगठन
गिरिडीहः
संगठन से निकाले जाने के बाद गिरिडीह व धनबाद के कुख्यात व इनामी सब जोनल कमांडर माओवादी कमांडर नुनूचंद महतो ने पुलिस के समक्ष संरेडर कर दिया। पांच लाख के इस इनामी सब जोनल कमांडर के पीरटांड थाना में संरेडर करने से ही दोनांे जिलें की पुलिस ने राहत महसूस किया है। नुनूचंद ने शुक्रवार दोपहर को संरेडर किया था। वहीं शनिवार को एएसपी गुलशन तिर्की ने नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के पांच लाख के सब जोनल कमांडर के आत्मसमर्पण करने की पुष्टि किया। बीतें शुक्रवार की दोपहर को इस इनामी नक्सली ने पीरटांड थाना में नाटकीय तरीके से आत्मसमर्पण किया। जानकारी के अनुसार शुक्रवार दोपहर का नुनूचंद सीधे पीरटांड थाना पहुंचा। और बगैर किसी को कुछ बताएं थाना प्रभारी के चैंबर घुस गया। पुलिस सूत्रों की मानें तो पीरटांड के इस सब जोनल कमांडर नुनूचंद को आत्मसमर्पण कराने में इसके कुछ साथियों ने महत्पूर्ण भूमिका निभाया। इसके साथियों ने ही जिले के पुलिस अधिकारियों से संपर्क किया। और संरेडर कराया।
पुलिस सूत्र यह भी बतातें है कि इसके संरेडर करने से पहले पीरटांड थाना पुलिस को एक पुलिस अधिकारी का ही काॅल आया। इसके बाद यह सीधा थाना पहुंच कर थाना प्रभारी के चैंबर घुस गया। इसके आत्मसमर्पण के बाद शनिवार को पुलिस ने पता लगाया। जिसमें गिरिडीह और धनबाद में इसके खिलाफ 55 से नक्सली केस दर्ज है। हालांकि इसके खिलाफ दोनों जिलों में कई और केस दर्ज है। जिसका पता लगाने में दोनों जिलों की पुलिस जुटी हुई है। दोनों जिलों के प्रमुख नक्सली घटनाओं में साल 2017 में मधुबन के पारसनाथ पहाड़ में ढोलकट्टा में पुलिस और माओवादियों के बीच हुए मुठभेड़ में यह शामिल था। इसी मुठभेड़ में डाॅली मजदूर मोती लाल बाॅस्के की मौत भी पुलिस के गोली लगने से हुई थी। दुसरी घटना साल 2016 में पीरटांड के जीतकुंडी में हुई थी। जिसमें सर्च आॅपरेशन के दौरान लैंड मांइस के विष्फोट किए जाने से सुरक्षा बल के कुछ जवान जख्मी हुए थे। वैसे पिछले एक दशक में पीरटांड व इसके आसपास के इलाके में जितनी नक्सली घटनाएं हुई। उन सबों में नुनूचंद महतो का ही नाम आया करता था।
जानकारी के अनुसार संगठन की ही किसी महिला माओवादी से छेड़छाड़ के आरोप में इसे साल 2018 में नक्सली संगठन से निकाल दिया गया था। लेकिन यह खुद को साल 2009 मंे नक्सली संगठन जोड़ा था। 2018 में संगठन से निकाले जाने के बाद यह दोनों जिलों में आता-जाता रहा। लेकिन संगठन द्वारा हत्या किए जाने के डर से इसने तीन साल बाद पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया। वैसे इसके कोरोना के लक्षण मौजूद होने की बात सामने आ रही है। लिहाजा, अब पुलिस पहले इसका कोरोना जांच कराएगी। गिरिडीह के पीरटांड थाना के कुड़को के भेलवाडीह निवासी 45 वर्षीय इनामी माओवादी नुनूचंद महतो के संरेडर करने से ही पूरे इलाके में चर्चा का विषय है। क्योंकि पिछले डेढ़ दशक से पुलिस जिस नुनूचंद को तलाश रही थी। उसने संगठन में हत्या हो जाने के भय से आत्मसमर्पण कर दिया।