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गिद्धों के लिए हजारीबाग बनेगा सेफ जोन

कई विशेषज्ञ गिद्धों के संरक्षण के लिए आयेंगे, देंगे प्रशिक्षण, बनेगा वल्चर इंटरप्रेटेशन सेंटर

हजारीबाग। पर्यावरण के लिए सुरक्षित गिद्धों का उन्मुक्त विचरण अब हजारीबाग में हो सकेगा। लगभग विलुप्त हो चुके गिद्धों के संरक्षण के लिए प्रयास किये जा रहे हैं। वन विभाग ने हजारीबाग को वल्चर सेफ जोन बनाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी (बीएनएचएस) ने दक्षिण एशिया में सेफ वल्चर जोन बनाने के लिए 12 स्थान चिन्हित किये गये हैं। इसमें एक स्थान हजारीबाग भी होगा।
उल्लेखनीय है कि वल्चर सेफ जोन बनाने के लिए ये शर्त होती है कि 10 किमी क्षेत्रफल में पशुओं को दी जानेवाली दर्दनाशक दवा का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। दरअसल, कम्पेंस्टरी एफोरस्टेशन फंड मैनेजमेंट एंड प्लानिंग अथॉरिटी (कैंपा) ने हजारीबाग वन विभाग को 58 लाख रुपये जारी किये हैं। इस राशि से पहले चरण में वल्चर इंटरप्रेटेशन सेंटर (गिद्ध व्याख्या केंद्र) बनाया जाएगा।
हजारीबाग के आरसीसीएफ (रिजनल चीफ कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट) संजीव कुमार ने बताया कि गिद्धों के संरक्षण के लिए तत्काल मिली 58 लाख रुपये की राशि का अगले पांच साल तक उपयोग होगा। यहां वन विभाग के सामुदायिक भवन की छत पर वल्चर इंटरप्रेटेशन सेंटर बनाया जाएगा। इस सेंटर में दृश्य और श्रव्य माध्यम से लोगों को यह बताया जाएगा कि आखिर गिद्धों को बचाना क्यों जरूरी है। लोगों की गिद्धों की उपयोगिता के बारे में भी बताया जाएगा। इधर नियो ह्यूमैन फाउंडेशन के निदेशक डॉ सत्यप्रकाश बताते हैं कि हजारीबाग के 100 किमी क्षेत्रफल में गिद्धों की संख्या 350 के आसपास हो गयी है।

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